जिन महिलाओं को असमय गर्भधारण है या किसी बीमारी के कारण डॉक्टर ने गर्भपात कराने की सलाह दी है, तो वह अब प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी नि:शुल्क गर्भपात करा सकती हैं। शर्त है कि महिला के गर्भधारण की अवधि 12 सप्ताह यानी तीन माह से अधिक नहीं होनी चाहिए।
41 निजी अस्पतालों में है ये सुविधा:
स्वास्थ्य विभाग ने परिवार नियोजन कार्यक्रम में नई सुविधा शामिल कर ली है। राज्य के 15 जिलों के 41 निजी अस्पतालों में यह सुविधा प्रदान की गई है। यहां बता दें कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में नए प्रयोग करने के लिए गत 29 अगस्त को तिरुपति में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राज्य को वेस्ट इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
मेडिकल टर्मिनेशनल ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत समय या अवांछित गर्भपात कानूनी रूप से मान्य है। इसके तहत किसी बीमारी से ग्रसित होने या बच्चा नहीं चाहने वाली महिलाएं गर्भपात करा सकती हैं। राज्य में प्रत्येक साल लगभग 30 लाख महिलाएं गर्भवती होती हैं। इसमें लगभग ढाई लाख का गर्भपात हो जाता है या महिलाएं डॉक्टर की सलाह पर करा लेती हैं। सबसे अधिक महिलाएं निजी अस्पतालों में गर्भपात कराती हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने परिवार नियोजन कार्यक्रम में एमपीटी एक्ट के तहत इस सुविधा को शामिल कर लिया है। राज्य कार्यक्रम अधिकारी डा. निराला का कहना है कि परिवार नियोजन के लिए यह सुविधा जरूरी थी। इससे महिलाओं का सुरक्षित गर्भपात भी हो जाता है और कोई रिस्क भी नहीं होता है।
इन जिलों में हैं सुविधा :
नालंदा में आठ, गया में सात, भोजपुर में छह, बक्सर में चार, जमुई में तीन, सारण, भागलपुर, पटना में दो-दो, मुजफ्फरपुर, बांका, वैशाली, गोपालगंज, सहरसा, बेगूसराय और समस्तीपुर में एक-एक निजी अस्पतालों में नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध कराई गई है। पटना में स्वास्थ्य विभाग ने किदवईपुरी स्थित सूर्या क्लीनिक और एग्जीबिशन रोड स्थित परिवार सेवा सदन में सुविधा है।
कैसे लें सुविधा का लाभ :
सुविधा की जानकारी के लिए लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी टोल फ्री नंबर 18001028464 पर डायल करना होगा। यहां से संबंधित जिलों में पंजीकृत प्राइवेट हॉस्पिटलों की जानकारी दी जाएगी। किसी प्रकार की परेशानी होने पर टॉल फ्री नंबर पर मदद ली जा सकती है।
समाचार स्रोत: http://www.livehindustan.com/news/Patna/article1-Abortion-free-of-cost-in-private-hospitals-also–562928.html